मूर्ति में किस तरफ होनी चाहिए भगवान गणेश की सूंड, जानें क्या होता है इसका लाभ

देशभर में गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर ज्यादातर लोग अपने घर पर गणपति लाते हैं ताकि उनके आशीर्वाद से जीवन में मंगल बना रहे। इस अवसर पर भगवान गणेश के भक्त उनकी मनमोहक प्रतिमा चुनकर घर में स्थापित करते हैं। Avoid These On Ganesh Chaturthi

हिन्दू मान्यताओं व शास्त्रों में ऐसा कहा गया है। कोई भी काम शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा जरूर की जाती है। ऐसा माना जाता है कि उन्हें उनके पिता महादेव से यह वरदान प्राप्त है कि जब तक भगवान गणेश की पूजा नहीं होती तब तक किसी भी देवता की पूजा स्वीकार नहीं होगी। गणेश पूजन के बाद ही किसी भी तरह की पूजा या कार्य की शुरुआत की जाती है।

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जब भी गणेश जी की मूर्ति तस्वीर प्रतिमा हम अपने यहां लाते है। तब हमेशा भगवान गणेश की प्रतिमा लाने से पूर्व या घर में स्थापना करने से पूर्व यह सवाल मन में आता है कि गणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए। क्योंकि गणेश जी की सूंड दोनों ही तरफ मुड़ी हुई तमाम मूर्तियों में देखी जा सकती है। मतलब दाई तरफ भी बाई तरफ भी।

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी से ही गणेश महोत्सव 19 सितंबर से प्रारंभ होगी. 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की मूर्ति विसर्जित की जाएगी. इन 10 दिनों के भीतर जोर-शोर के साथ गणेश उत्सव मनाया जाएगा. भगवान गणेश के भक्त 10 दिन तक उनकी पूजा-उपासना करेंगे.

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Avoid These On Ganesh Chaturthi

गणपति के जन्मदिवस पर के रूप में मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी पर कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है. गणपति जी की सेवा में कोई भूलचूक न हो इसके लिए हम आपको बतायंगे की गणपति की पूजा में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए-

किस दिशा में हो उनकी सूंड ?

सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्तियां गणेश जी के शरीर में ही विद्यमान है। जैसे – गणपति की सूंड पर धर्म विद्यमान है तथा कर्ण में ऋचाएं, दाएं हस्त वर, बाएं हस्त अन्न, नैनो में लक्ष्य, चरणों में सात लोक, कपाल में समृद्धि, नाभी में ब्रह्मांड और मस्तक में ब्रह्मलोक विद्यमान है।

सुख और समृद्धि विघ्नहर्ता गणपति के दर्शन मात्र से आ जाती है। ​अक्सर श्री गणेश की प्रतिमा स्थापना से पूर्व सवाल सामने आता है कि श्री गणेश की कौन सी सूंड होनी चाहिए यानी किस तरफ सूंड वाले श्री गणेश पूजनीय हैं? आइए जानें …..

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क्या करना चाहिए?

  • गणेश जी को दूर्वा अत्यंत प्रिय है, इसलिए गणपति को रोली लगाकर दूर्वा अर्पित करनी चाहिए। यह दूर्वा उनके शीश पर रखनी चाहिए न कि चरणों में।
  • गणपति पूजा में शंख जरूर बजाए, क्योंकि गणेश जी को शंख की ध्वनि अत्यंत प्रिय है। वैसे भी किसी भी पूजा में शंख ज़रूर बजायी जाती है। यह उस स्थान से नकारात्मकता को दूर करता है।
  • गणेश भगवान को भोग के लिए मोदक अवश्य चढाने चाहिए, और साथ में केले और अन्य मिष्ठान भी चढ़ानी चाहिए। पूजा के अंत में सबको यह प्रसाद के रूप में बांटना चाहिए।
Avoid These On Ganesh Chaturthi
Avoid These On Ganesh Chaturthi

क्या नहीं करना चाहिए?

  • गणेश चतुर्थी तिथि को चन्द्रमा के दर्शन वर्जित हैं, क्योकि इस दिन चन्द्रमा का दर्शन करने से कलंक लगने की सम्भावना होती है। यदि आप भूलवश चंद्रमा का दर्शन कर भी लें तो जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की तरफ फेंक दें.
  • गणेश जी की पीठ का दर्शन कभी नहीं करना चाहिए, कहा जाता है की उनकी पीठ पर दुःख तथा दरित्रता का वास होता है। जो पीठ का दर्शन का दर्शन करता है दरिद्रता उसके पीछे आ जाती है। किन्तु फिर भी जाने अनजाने पीठ के दर्शन हो जाएँ तो गणेश जी से क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए।
  • गणपति की पूजा करते वक्त कभी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए. मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था. गणेश भगवान ने नाराज होकर उन्हें श्राप दिया था. इसलिए तुलसी सभी देवताओं को भले ही चढ़ती हो किन्तु गणेश जी को नहीं चढ़ाई जाती।
  • गणेश जी को मूर्ति को घर पर खुला नहीं लाया जाता बल्कि उनको ढक कर ही घर में लाया जाता है। तथा द्वार पर स्वागत करने के बाद जहाँ उनको स्थापित करना है वह पर रख कर कपडा हटाया जाता है।
  • गणेश चतुर्थी की पूजा में किसी भी व्यक्ति को नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. ऐसे में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है.
  • गणपति की पूजा में नई मूर्ति का इस्तेमाल करें. पुरानी मूर्ति को विसर्जित कर दें. घर में गणेश की दो मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए.
  • भगवान गणेश की मूर्ति के पास अगर अंधेरा हो तो ऐसे में उनके दर्शन नहीं करने चाहिए. अंधेरे में भगवान की मूर्ति के दर्शन करना अशुभ माना जाता है.

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किस तरफ की सूंड लाभदायी है ?

क्या कभी आपने ध्यान दिया है। भगवान गणेश की तस्वीरों और मूर्तियों में उनकी सूंड दाई या कुछ में बाई ओर होती है। सीधी सूंड वाले गणेश भगवान दुर्लभ हैं। इनकी एकतरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है। भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप के भी कई भेद हैं। कुछ मुर्तियों में गणेश जी की सूंड को बाई तरफ घुमा हुआ दर्शाया जाता है। तो कुछ में दाई ओर घुमा दर्शाया जाता है। गणेश जी की सभी मूर्तियां सीधी या उत्तर की ओर सूंड वाली होती हैं। मान्यता है कि गणेश जी की मूर्ति जब भी दक्षिण की ओर मुड़ी हुई बनाई जाती है। तो वह टूट जाती है। कहा जाता है यदि संयोगवश आपको दक्षिणावर्ती मूर्ति मिल जाए और उसकी विधिवत उपासना की जाए तो अभिष्ट फल मिलते हैं।

Bhagwan Ganesh Ke Avtar
Bhagwan Ganesh Ke Avtar

सूंड में होता है देवता का वास

गणपति जी की बाईं सूंड में चंद्रमा का और दाईं सूंड में सूर्य का प्रभाव माना गया है। गणेश जी की सीधी सूंड तीन दिशाओं से दिखती है। जब सूंड दाईं ओर घूमी होती है तो इसे पिंगला स्वर और सूर्य से प्रभावित माना गया है। ऐसी प्रतिमा का पूजन विघ्न विनाश शत्रु पराजय विजय प्राप्ति उग्र तथा शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए फलदायी मानी जाती है।

वहीं बाईं ओर मुड़ी सूंड वाली मूर्ति को इड़ा नाड़ी व चंद्र प्रभावित माना गया है। ऐसी मूर्ति की पूजा स्थायी कार्यों के लिए की जाती है। जैसे शिक्षा धन प्राप्ति व्यवसाय उन्नति संतान सुख विवाह सृजन और पारिवारिक खुशहाली। सीधी सूंड वाली मूर्ति का सुषुम्रा स्वर माना जाता है इनकी आराधना रिद्धि सिद्धि कुण्डलिनी जागरण मोक्ष समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी गई है। संत समाज ऐसी मूर्ति की ही आराधना करता है। सिद्धि विनायक मंदिर में दाईं ओर सूंड वाली मूर्ति स्थापित है। इसीलिए इस मंदिर की आस्था और आय आज शिखर पर है।

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घर में कौन से गणेशजी स्थापित करें

कुछ विद्वानों का मानना है कि दाई ओर घुमी सूंड के गणेशजी शुभ होते हैं तो कुछ का मानना है कि बाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ फल प्रदान करते हैं। हालांकि कुछ विद्वान दोनों ही प्रकार की सूंड वाले गणेशजी का अलग अलग महत्व बताते हैं। यदि गणेशजी की स्थापना घर में करनी हो तो दाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी शुभ होते हैं। दाई ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी सिद्धिविनायक कहलाते हैं। ऎसी मान्यता है कि इनके दर्शन से हर कार्य सिद्ध हो जाता है। किसी भी विशेष कार्य के लिए कहीं जाते समय यदि इनके दर्शन करें तो वह कार्य सफल होता है। यह शुभ फल प्रदान करता है। इससे घर में पॉजीटिव एनर्जी रहती है व वास्तु दोषों का नाश होता है।

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