हेल्लो दोस्तों अन्नपूर्णा जयंती (Annapurna Jayanti 2020) माता अन्नपूर्णा की उत्त्पत्ति के रूप में मनाई जाती है। माता अन्नपूर्णा माता पार्वती का ही एक रूप हैं जो उन्होंने संसार के कल्याण के लिए धारण किया था। देवी अन्नपूर्णा भोजन एवं रसोई की उत्पन्नकर्ता मानी जातीं हैं। सनातन धर्म में भोजन के अपमान को देवी अन्नपूर्णा के अपमान के रूप में देखा जाता है। चूँकि पृथ्वी पर अन्न ही मनुष्य के जीवन जीने का मुख्य साधन है, अतः मनुष्य को कभी भी अन्न का अपमान नहीं करना चाहिए।
माना जाता है कि इस दिन जो भक्त सच्चे दिल से मां अन्नपूर्णा की पूजा अर्चना करते हुए पूरे विधि विधान के साथ व्रत करता है मां उसके घर में अन्न के भंडार हमेशा भरे रखती हैं. ऐसे जातकों के घर में दरिद्रता फटकती तक नहीं है. आइए जानते हैं कि किस विधि से करनी चाहिए मां अन्नपूर्णा (Annapurna Devi) की पूजा…
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अन्नपूर्णा जयंती पूजन विधि :-
- अन्नपूर्णा जयंती के दिन साधक को सुबह जल्दी स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करके रसोई और चूल्हे की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए।
- इसके बाद मां अन्नापूर्णा की प्रतिमा या तस्वीर को किसी चौकी पर स्थापित करें।
- अब सूत का धागा लेकर उसमें 17 गांठे लगानी चाहिए। उस धागे पर चंदन और कुमकुम लगाकर मां अन्नापूर्णा के चित्र के आगे रखना चाहिए।
- इसके बाद 10 दूर्वा, 10 अक्षत अर्पित करने चाहिए। और मां अन्नापूर्णा की धूप व दीप आदि से विधिवत पूजा करें।
- इसके बाद मां अन्नापूर्णा से प्रार्थना करें कि हे मां मुझे धन, धान्य, पशु, पुत्र, आरोग्यता, यश आदि सभी कुछ दें। हे देवी मैं आपको प्रणाम करता हूं।
- अब पुरुष इस धागे को दाएं हाथ की कलाई पर और महिला इस धागे को बाएं हाथ की कलाई पर पहन लें।
- इसके बाद मां अन्नपूर्णा की कथा सुने या पढ़ें
- उन्हें घर में बनाए गए किसी भी प्रसाद का भोग लगाएं और उनकी धूप व दीप से आपती उतारें।
- इसके बाद 17 हरे धान के चावल और 16 दूर्वा लेकर मां अन्नापूर्णा की प्रार्थना करें।
- पूजा समाप्त होने के बाद किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को अन्न का दान अवश्य करें।

कब मनाई जाती है अन्नपूर्णा जयंती? :-
माता अन्नपूर्णा की उत्पत्ति अन्नपूर्णा जयंती के रूप में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस वर्ष 2020 में यह 30 दिसंबर को बुधवार के दिन मनाई जायगी। इस दिन निर्धनों को अन्न दान करना भी अत्यंत शुभ माना गया है।
शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार इस दिन रसोई, चूल्हे आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है साथ ही अन्नपूर्णा देवी की कृपा बनी रहती है। हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि जब पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गई थी, तब मां पार्वती ने अन्न की देवी, मां अन्नपूर्णा के रूप में प्रकट होकर पृथ्वी लोक पर अन्न उपलब्ध कराकर लोगों की रक्षा की थी।
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माँ अन्नपूर्णा की पौराणिक कथा :-
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक समय पृथ्वी पर अन्न एवं पानी समाप्त होने लगा और लोगों में हाहाकार मच गया। देवताओं ने जब इस समस्या को देखा तो वे ब्रह्मा जी की शरण में गए और इस समस्या का समाधान पुछा। तब ब्रह्मा जी देवताओं सहित श्री हरी विष्णु की शरण में चले गए।
विष्णु जी ने सभी देवताओं को बताया की इस समस्या का निदान अब केवल शंकर जी कर सकते हैं। और सभी देवों सहित ब्रह्मा और विष्णु जी भी शंकर जी की शरण में चले गए। वहां उन्होंने भोलेनाथ को इस विषय में सब कुछ बताया, जब माता पार्वती ने यह सुना तो उनका ममतामयी मन अपने बच्चों को पृथ्वी पर भूखा तड़पता हुआ नहीं देख सका। उनकी करुणा से जन्म हुआ माँ अन्नपूर्णा का, जिनके एक हाथ में अन्न से भरा पात्र था और दूसरे हाथ में अन्न देने के लिए कलछी थी। इसके बाद माता पार्वती ने अन्नपूर्णा रूप और भगवान शिव ने भिक्षु का रूप धारण किया। इसके बाद भगवान शिव ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा लेकर पृथ्वीवासियों के बीच वितरित किया।

सर्वप्रथम शिव जी ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा ग्रहण की और उस अन्न को पृथ्वीवासियों को वितरित किया। और धीरे धीरे पृथ्वी से अकाल का संकट हट गया, सभी देवता माता अन्नपूर्णा की जय जयकार करने लगे। एक कथा में यह भी कहा जाता है की जब श्री राम वानर सेना के साथ लंका में युद्ध कर रहे थे तब उस समय माता अन्नपूर्णा ने ही उन्हें और उनकी पूरी सेना को भोजन उपलब्ध कराया था। माता अन्नपूर्णा ने अपनी नगरी शिवजी की प्रिय नगरी काशी को बनाया।
अन्नपूर्णा जयंती का महत्व :-
अन्नपूर्णा जयंती माता अन्नपूर्णा की उत्त्पत्ति की आवश्यकता के विषय में मनुष्य को याद कराती रहती है, की किस प्रकार भोजन को बर्बाद करने से पृथ्वी पर अकाल पड़ा था। इस जयंती के कारण मनुष्य माता अन्नपूर्णा को उनके कार्य और उनकी कृपा के लिए धन्यवाद करता है। मान्यता है की जिस घर में अन्नपूर्णा देवी का आशीर्वाद होता है उस घर में कभी भी अन्न का अकाल नहीं पड़ता। और अन्नपूर्णा देवी का आशीर्वाद केवल उस घर में होता है जिस घर में रसोई को साफ और शुद्ध रखा जाता है तथा अन्न का सम्मान किया जाता है। ऐसे घर में धन धन्य की भी कमी नहीं रहती और विपत्ति में परिवार भूखा नहीं सोता।
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अन्नापूर्णा जयंती पर क्या करें :
- अन्नापूर्णा जयंती को रसोई और गैस चूल्हें को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।
- इस दिन किसी निर्धन को अन्न का दान अवश्य करें और साथ ही किसी ब्राह्मण को भी सात प्रकार के अनाज के दान भी करें।
- अन्नापूर्णा जयंती के दिन गाय, कुत्ते और पक्षियों को भी भोजन कराना काफी शुभ रहता है।
- इस दिन सात प्रकार का अनाज मां अन्नापूर्णा के मंदिर में अवश्य दान करें। इसके अलावा सात ही प्रकार का अनाज अपनी बेटी या बहन के घर भी अवश्य भेजें।
- घर के किसी बुजुर्ग से अनाज स्वयं दान अवश्य में लें। ऐसा करने से आपके घर में कभी भी अन्न की कमीं नही होगी।
- माता अन्नपूर्णा के मंदिर में जाकर उनके दर्शन अवश्य करें और उनसे अपने घर में अन्न की कभी भी कमीं न होने की प्रार्थना करें।
- मां अन्नापूर्णा को घर पर बने हुए भोजन का ही भोग लगाएं और उसी के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।
- इस दिन मां अन्नपूर्णा के साथ भगवान शिव के दर्शन भी अवश्य करें। ऐसा करने से आपके घर में अन्न और धन सदैव बरकरार रहेंगे।
- अन्नापूर्णा जयंती के दिन खाना बनाने के बाद बर्तन अवश्य धोकर रखें। इस दिन गंदे बर्तन रसोई में बिल्कुल भी न रखें।

अन्नपूर्णा जयंती पर क्या न करें :
- अन्नापूर्णा जयंती के दिन किसी भी रूप से अन्न का अपमान न करें।
- इस दिन घर आए किसी भी व्यक्ति का अपमान न करें। और आए हुए व्यक्ति को अपने घर से भोजन कराकर ही भेजें।
- इस दिन घर में किसी भी रूप से तामसिक भोजन न तो बनाएं और न हीं खाएं। और ना ही भोजन में प्याज और लहसुन का प्रयोग करें।
- अन्नापूर्णा जयंती के दिन अपनी थाली में उतना ही भोजन रखें जितना आप खा सकें। रोज ऐसा करने से मां अन्नापूर्णा का आर्शीवाद आपको सदैव ही मिलता रहेगा।
- अन्नापूर्णा जयंती के दिन दिन मां रसोई में किसी झूठा भोजन न रखें और न हीं गैस चूल्हे को गंदा रखें।
- यदि आपका पैर किसी अन्न पर गलती से पड़ भी जाता है तो उसे उठाकर कहीं स्वच्छ स्थान पर रखें और अपनी गलती के लिए मां अन्नपूर्णा से माफी मांगें।
- अन्नापूर्णा जयंती के दिन खाना बनाते समय किसी भी प्रकार से खाने से झूठे हाथ न तो स्वयं लगाएं और न हीं किसी को लगानें दे।
- इस दिन किसी भी रूप से अपने घर में कलेश न करें। क्योंकि ऐसा करने से मां अन्नापूर्णा आपसे नाराज हो जाएंगी।
- अन्नापूर्णा जयंती के दिन शराब का सेवन बिल्कुल भी न करें और न हीं अपने घर में किसी को करने दें।