कब है आमलकी एकादशी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत कथा और महत्व

हिन्दू धर्म में आमलकी एकादशी की अत्यंत महिमा है। आमलकी एकादशी व्रत हर साल फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी आती है, के दिन रखा जाता है। इसे रंगभरी एकादशी भी कहते हैं। सनातन धर्म में आमलकी एकादशी का व्रत अत्यंत श्रेष्ठ है। Amalaki Ekadashi Vrat

आमलकी का मतलब है आंवला। कहा जाता है आंवला के प्रत्येक शाख में भगवान का वास है। आवंला को शास्त्रों में उसी प्रकार श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है जैसा नदियों में माँ गंगा को और देवों में भगवान विष्णु को।

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कहा जाता है कि भगवान श्रीहरि विष्णु जी ने जब सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा को जन्म दिया उसी समय उन्होंने आंवले के वृक्ष को भी जन्म दिया। भगवान श्रीहरि विष्णु ने कहा है जो प्राणी स्वर्ग और मोक्ष प्राप्ति की कामना रखते हैं उनके लिए फाल्गुन शुक्ल पक्ष में जो पुष्य नक्षत्र में एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।

इस दिन लोग भगवान श्रीहरि का आराधना कर उपवास करते हैं और आवंले के वृक्ष की पूजा करते हैं। आमलकी एकादशी का व्रत करने से समस्त देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होने के साथ भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहती है।

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आमलकी एकादशी शुभ मुहूर्त

Amalaki Ekadashi Shubh Muhurt

02 मार्च 2023 को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से एकादशी प्रारंभ होगी जो कि 03 मार्च को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। हिंदू धर्म में व्रत उदया तिथि में मान्य होते हैं। ऐसे में पंचांग के अनुसार, रंगभरी या आमलकी एकादशी 03 मार्च 2023 को रखना शुभ रहेगा।

Amalaki Ekadashi Vrat
Amalaki Ekadashi Vrat

आमलकी एकादशी पूजन विधि

Amalaki Ekadashi Poojan Vidhi

  • आमलकी का व्रत करने के पहले दिन व्रती को दशमी की रात्रि में भगवान विष्णु का ध्यान स्मरण करना चाहिए।
  • अगले दिन प्रात: स्नान करके भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष हाथ में तिल, कुश, मुद्रा और जल लेकर संकल्प करें ।
  • ऐसा करते हुए प्रार्थना करें कि मेरा यह व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो इसके लिए श्रीहरि मुझे अपनी शरण में रखें और भगवान विष्णु का ध्यान कर मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
  • भगवान की पूजा के पश्चात पूजन सामग्री लेकर आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।
  • सबसे पहले वृक्ष के चारों ओर की भूमि को साफ करें और उसे गाय के गोबर से पवित्र करें। पेड़ की जड़ में एक वेदी बनाकर उस पर कलश स्थापित करें और कलश में देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें।
  • कलश में सुगंधी और पंच रत्न रखें। इसके ऊपर पंच पल्लव रखें फिर दीप जलाकर रखें। कलश पर श्रीखंड चंदन का लेप करना और वस्त्र पहनाना चाहिए।
  • अंत में कलश के ऊपर श्री विष्णु के छठे अवतार परशुराम की मूर्ति स्थापित करें और विधिवत रूप से परशुरामजी की पूजा करें।
  • रात्रि में भगवत कथा व भजन-कीर्तन करते हुए प्रभु का स्मरण करें। द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन करवा कर दक्षिणा दें साथ ही परशुराम की मूर्ति सहित कलश ब्राह्मण को भेंट करना चाहिए।
    एकादशी की शाम तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाएं।
    भगवान विष्णु को केले चढ़ाएं और गरीबों को भी केले बांट दें।
    भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मी का पूजन करें और गोमती चक्र और पीली कौड़ी भी पूजा में रखें।

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आमलकी एकादशी कथा

Amalaki Ekadashi Vrat Katha

चित्रसेन नामक राजा प्राचीन काल में राज्य करता था। चित्रसेन के राज्य में एकादशी के उपवास का विशेष महत्व था और राज्य की सभी प्रजाजन यह उपवास करते थे। वहीं राजा के आमलकी एकादशी के प्रति विशेष श्रद्धा-भाव थे। एक दिन राजा शिकार करते-करते जंगल में बहुत दूर निकल गया। उसी समय कुछ जंगली और पहाड़ी डाकुओं ने राजा को जंगल में घेर लिया। जिसके बाद डाकुओं ने अपने शस्त्रों से राजा पर हमला कर दिया। मगर देव कृपा से राजा पर जो भी शस्त्र चलाए जाते वो फूलो में परिवर्तित हो जाते।

amalaki ekadashi
Amalaki Ekadashi Vrat

डाकुओं की संख्या अधिक होने के कारण राजा स्तब्ध होकर वही धरती पर गिर गया। उसी समय राजा के शरीर से दिव्य शक्ति प्रकाशित हुई और सभी डाकुओं को मारकर अदृश्य हो गई। जब राजा होश में आया तो, राजा ने सभी डाकुओं का मरा हुआ पाया। यह देख कर राजा को ताज्जुब हुआ कि इन सभी डाकुओं को किसने मारा?

उसी समय एक आकाशवाणी हुई- है राजन! ये सब राक्षस तुम्हारे आमलकी एकादशी का उपवास करने के प्रभाव से मारे गए हैं। तुम्हारे शरीर से उत्पन्न आमलकी एकादशी की वैष्णवी शक्ति ने इन सभी डाकुओं का संहार किया है। इन्हें मारकर वह पुन: तुम्हारे शरीर में समा गई। यह सब सुनकर राजा अत्यधिक प्रसन्न हुआ और जंगल से वापस लौटकर अपने राज्य में सभी को एकादशी का महत्व बताया।

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आमलकी एकादशी का महत्व

Amalaki Ekadashi Mahatv

हिंदू पंचाग के अनुसार, दूसरे त्योहारों की तुलना में आमलकी एकादशी के दिन का सबसे अधिक महत्व होता है। होली के लोकप्रिय त्यौहार की शुरुआत भी आमलकी एकादशी को मानी जाती है। इस दिन जो भी इच्छा मन में लेकर उपवास करते हैं उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। हिन्दू मान्यतानुसार देवी लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है।

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आमलकी एकादशी के दिन व्रत करने से देवी लक्ष्मी उनकी हर मनोकामनाएं पूर्ण करती है। आंवला का पेड़ औषधीय परिप्रेक्ष्य से सबसे महत्वपूर्ण है। यह स्वास्थ्य लाभ भी देता है। आवंला के पेड़ से कई प्रकार की जड़ी-बूटियां बनाई जाती हैं। आवंला के पेड़ का उपयोग बड़े पैमाने पर आधुनिक दवाओं के निर्माण के लिए किया जाता है जो विटामिन सी का स्त्रोत होती हैं।

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