माता पिता बनने के सुख को परम सुख माना जाता है। बच्चे के जन्म के बाद घर में उसकी किलकारी पूरे माहौल को खुशनुमा बना देती है। समय के साथ धीरे धीरे बच्चे के शरीर का भी विकास होता है। आमतौर पर बच्चे छह माह के होते होते बैठना शुरू कर देते हैं और फिर वह घुटनों के बल चलने लगते हैं। आज हम अपने इस लेख में आपको बच्चों के घुटने के बल चलने के कुछ फायदे बताएंगे। तो आइए जानते हैं क्यों ज़रूरी है आपके नन्हे शिशु का घुटनों के बल चलना। Benefits of Crawling For Babies
जब बच्चा घुटनों के बल चलने लगता है तो उसे न केवल शारीरिक लाभ मिलता है बल्कि उसका मानसिक और संवेगनात्मक विकास भी होता है। कई बार हमने देखा है कि कुछ बच्चे घुटनों के बल चलने की बजाय सीधे खड़े हो जाते हैं और चलना शुरू कर देते हैं।
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ऐसे में माता पिता के दिमाग में कई तरह के सवाल उठने लगते हैं कि क्या वाकई में बच्चों का घुटनों के बल चलना ज़रूरी होता है। आपकी इस दुविधा को दूर करते हुए हम आपको बता दें कि घुटनों के बल चलना बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद होता है, इससे उनकी हड्डियां मज़बूत होती है और उनके पैरों में ताकत भी आती है।
बच्चे के आने से सारे घर में खुशी का माहौल होता है। मगर जब वह अपने घुटनों के बल चलना शुरू करता है तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं होता है। बच्चे के बल चलना बच्चे के विकास के लिए भी बहुत जरूरी होता है। जिस तरह बच्चा धीरे-धीरे चलना शुरू करता है उसी तरह से उसके शरीर की लंबाई बढ़ने लगता है। इसके अलावा भी शिशु के शरीर को कई लाभ भी मिलते हैं। आज हम आपको उन्ही के बारे में बताएंगे।

विषयसूची :
अपने शिशु को दीजिये प्रोटीन और कैल्शियम युक्त आहार :
बच्चों के विकास में उनका आहार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्हें वो सभी ज़रूरी और पौष्टिक आहार देना चाहिए जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास ठीक से हो। ऐसे में जब आपका नन्हा शिशु घुटनों के बल चलने लगता है तब वह अपने पैरों के साथ साथ अपने हाथ का भी इस्तेमाल करता है इससे उसके पैरों के साथ हाथ की भी हड्डियां और मांसपेशियां मज़बूत होती है। इस समय बच्चे को प्रोटीन और कैल्शियम युक्त आहार देना बेहद ज़रूरी होता ताकि उसकी हड्डियों को मज़बूती मिले और मांसपेशियों का भी विकास तीव्र गति से होता रहे।
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बेलेंस बनाना सीखना :
जब शिशु घुटनों के बल चलना शुरू करता है तो वह कभी इधर- गिरता है तो कभी उधर। फिर वह धीरे-धीरे बेलेंस बनाना सीख लेता है। मगर ध्यान रहे कि जब भी बच्चा घुटने के बल चले तो उसके आस-पास ही रहे।
दृष्टि के नियमों की समझ :
बच्चा जब तक गोद में रहता है तब वह केवल अपने आस पास की चीज़ें ही देख पाता है लेकिन जब वह घुटनों के बल चलने लगता है तब उसकी दृष्टि की क्षमता का भी विकास होता है। मतलब इस दौरान उसमें पास और दूरी की समझ बढ़ती है। इतना ही नहीं इस समय वह अपनी गति पर नियंत्रण करना भी सीखता है।

बढ़ता है आत्मविश्वास :
वैसे तो बच्चों के लिए घुटनों के बल चलने के अनेकों फायदे होते हैं लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि इस दौरान आपके नन्हे शिशु का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। वह स्वयं अपने निर्णय लेने लगता है यानी जब वह घुटनों के बल इधर उधर जाता है तो वह तय करने लग जाता है कि उसे किस दिशा में जाना है और कितनी दूर तक जाकर रुक जाना है। इसी प्रकार निर्णय लेने से उसके सोचने और विचार करने की क्षमता का भी विकास होता है।
ऐसे में कई बार उसे चोट भी लग जाती है और इसी प्रकार आने वाली हर छोटी बड़ी बाधाओं का सामना करते हुए यह दिनों दिनों आगे बढ़ता ही जाता है और एक दिन स्वयं अपने पैरों पर खड़े हो कर चलने लगता है।
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दिमाग का विकास :
जैसा की हमने आपको बताया कि बच्चों के घुटने के बल चलने से केवल उनका शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक विकास भी होता है। इस समय उनका दायां और बांया मस्तिष्क आपस में सामंजस्य बनाना सीखता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शिशु एक साथ कई काम करता है और उसके दिमाग के अलग अलग हिस्सों का इस्तेमाल हो रहा होता है।
शरीरिक विकास के लिए :
बच्चे का घुटने के बल चना उसके शरीरिक विकास के लिए अच्छा माना जाता है। इस तरह चलने से उसके शरीर की हड्डियां मजबूत और लचीली होती हैं। यही कारण है कि जब शिशु घुटने के बल चलना शुरू करें तो उसको प्रोटीन और कैल्शियम युक्त आहार खाने को दें।

अपनी रक्षा करना सिखना :
जब बच्चा जमीन पर चलना शुरू करता है तो वह किसी कीड़े को देख कर उससे बचने के लिए उसको मार देता है। तो कई बार वह कीड़े को देखकर अपना रास्ता बदल लेता है क्योंकि इस समय तक उसको यह बात पता चल जाती है कि कौन सी चीज उसके लिए खतरनाक है।
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