Benefits and risks of delayed cord clamping : पुराने ज़माने में जब अस्पताल की सुविधा नहीं होती थी या फिर अस्पताल घर से कोसो दूर हुआ करता था तब प्रसव के लिए घर पर ही दाई माँ को बुलाया जाता था। दाई माँ सुरक्षित प्रसव कराने की हर मुमकिन कोशिश करती थी ताकि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहे।
इस दौरान दाई माँ के द्वारा अपनाए जाने वाले कुछ नुस्खे या उपचार का तरीका ऐसा होता था जिसका समर्थन आज के मॉडर्न ज़माने में भी किया जाने लगा है। इन्हें माँ और बच्चे दोनों के लिए बहुत ही लाभदायक माना जाता है। इन्हीं में से एक है डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग। तो आइए जानते हैं क्या है डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग और इससे जुड़े फायदे के बारे में।
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क्या है डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग | What is delayed cord clamping
जन्म के बाद भी बच्चा अपनी माँ से अंबिलिकल कॉर्ड यानि गर्भनाल के द्वारा जुड़ा रहता है जिसे डिलीवरी के बाद काट दिया जाता है। इस प्रक्रिया को देर से करने को डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग कहते हैं। इसके फायदों के कारण इस प्रक्रिया का महत्व आज बहुत ज़्यादा बढ़ गया है। अंबिलिकल कॉर्ड में भारी मात्रा में लाल और सफ़ेद ब्लड सेल्स पाए जाते हैं और कॉर्ड क्लैंपिंग में देर करने का मतलब है कि उतने समय में यह बच्चे तक पहुंच सके। हाल ही में किये गए एक अध्ययन के अनुसार जन्म के बाद कम से कम एक मिनट तक शिशु की नाभि को कॉर्ड से बरक़रार रखने से उसकी रक्त की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।

कितने समय तक रोका जा सकता है? | How long should you wait to clamp the cord?
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार, जन्म के समय बच्चे की नाल (गर्भनाल Umbilical Cord) को देर से काटने (जन्म के बाद 1 मिनट से पहले नहीं) से नवजात शिशु को काफी फायदा होता है। दरअसल, स्टडीज से पता चलता है कि जन्म के बाद पहले मिनट में ही कॉर्ड काट देने से प्लेसेंटा से केवल 80 मिलीलीटर ही ब्लड बच्चे के शरीर में ट्रांसफर हो पाता है, जबकि तीन मिनट बाद तक 115 मिलीलीटर ब्लड ट्रांसफर होता है। बच्चे की नाल जल्दी काटने से रक्त की कुल आपूर्ति में कमी आ जाती है और आयरन की मात्रा कम हो जाती है।
आमतौर पर बच्चे के जन्म के 20 से 30 सेकंड के अंदर डॉक्टर अंबिलिकल कॉर्ड को काट देते हैं लेकिन कॉर्ड क्लैंपिंग में यह समय बढ़कर 5 मिनट हो जाता है। इतना ही नहीं वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) ने इस बात का सुझाव दिया है कि बच्चे के जन्म के कम से कम एक मिनट बाद ही कॉर्ड क्लैंपिंग की जाए या फिर तब तक जब तक कॉर्ड फड़कना न बंद कर दे।
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सी-सेक्शन में कॉर्ड क्लैंपिंग | Cord clamping in C Section
सी-सेक्शन में भी कॉर्ड क्लैंपिंग सुरक्षित तरीके से किया जा सकता है लेकिन इसके लिए आपको अपने डॉक्टर से पहले ही बातचीत करनी होगी। बाद में किसी तरह की कोई परेशानी न हो क्योंकि नार्मल डिलीवरी की तुलना में सी-सेक्शन में कॉर्ड क्लैंपिंग की प्रक्रिया में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं। बेहतर यही होगा कि आप पहले ही इसके बारे में अच्छे से जानकारी हासिल कर लें।
डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग के फायदे | Benefits of delayed cord clamping
दुनिया में कदम रखने के लिए बच्चे को हर तरह से मज़बूत होना पड़ता है और यह ताकत आपका बच्चा आपसे हासिल कर सकता है। खाने पीने के अलावा उसे आपसे भारी मात्रा में इम्यून सेल्स की भी ज़रुरत पड़ती है ताकि वह किसी भी तरह की बीमारी या इन्फेक्शन से बचा रहे।
- ऐसा माना जाता है कि जिन बच्चों की क्लैंपिंग देर से होती है उनके शरीर में रेड ब्लड सेल्स की मात्रा 60 प्रतिशत ज़्यादा होती है।
- एक अन्य अध्ययन से इस बात का खुलासा भी हुआ है कि डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग से बच्चों का कई सालों तक न्यूरो डेवेलप्मेंट होता है।
- जिन बच्चों की कॉर्ड क्लैंपिंग जन्म के बाद कम से कम तीन मिनट बाद की जाती है वे बेहद सामाजिक होते हैं।
- डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग का सबसे बड़ा फायदा होता है एनीमिया से छुटकारा क्योंकि बच्चों के विकास में आयरन बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- डिलेड क्लैंपिंग से बच्चे को अंबिलिकल कॉर्ड से हर तरह की अच्छी चीज़ प्राप्त होती है जो उसे स्वस्थ और बेहतर जीवन जीने में मदद करता है।

डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग के संभावित नुकसान | Risks of delayed cord clamping
- अब जब आप डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग के फायदों के बारे में जान चुके हैं तो आप के लिए इसके कुछ संभावित जोखिमों के बारे में भी जान लेना आवश्यक है।
- डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग में सबसे बड़ा जोखिम होता है जॉन्डिस का। एक अध्ययन से पता चला है कि तकरीबन 5 प्रतिशत बच्चों को इससे जॉन्डिस की समस्या हो जाती है इसलिए जन्म के तुरंत बाद जिन बच्चों को लीवर से जुड़ी शिकायत होती है उनके कॉर्ड क्लैंपिंग में देरी नहीं करनी चाहिए।
- कुछ मामलों में खून का प्रतिवाह बच्चे के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
- यदि माँ को HIV है ऐसे में डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग से बच्चे में भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं इसलिए यदि आपके मन में किसी भी तरह की कोई शंका हो तो अपने डॉक्टर से तुंरत बात कीजिये। हालांकि डिलेड कॉर्ड क्लैंपिंग की मांग बहुत बढ़ गयी है लेकिन आपके बच्चे की सेहत आपके लिए ज़्यादा ज़रूरी है।
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