हेल्लो दोस्तों साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण (Surya Grahan Solar Eclipse) 21 जून को लगने जा रहा है। खास बात ये हैं कि ये वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जिसमें चंद्रमा सूर्य का करीब 98.8% भाग ढक देगा। भारत समेत इस ग्रहण का नजारा नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूऐई, एथोपिया तथा कोंगों में दिखेगा।
वहीं भारत में देहरादून, सिरसा अथवा टिहरी कुछ प्रसिद्ध शहर है जहां पर लोग वलयाकार सूर्य ग्रहण का खूबसूरत नजारा देख पाएंगे। देश के अन्य हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
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देश में चल रहे कोरोना महामारी से निपटने के नए रास्ते जैसे वैक्सीन अन्य आयुर्वेदिक दवाएं इत्यादि से लोगों को लाभ मिलने लगेगा। ज्योतिषियों की मानें तो इस सूर्यग्रहण के समय ग्रह नक्षत्रों में कुछ ऐसे बदलाव होंगे जिससे कोरोना महामारी का अंत होना शुरू हो जाएगा।
सूर्य ग्रहण की वजह से वर्षा की कमी, गेहूं, धान और अन्य अनाज के उत्पादन में कमी आ सकती है। प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच तनाव और बहस बढ़ सकती है। वहीं व्यापारियों के लिए यह ग्रहण अच्छा माना जा रहा है। सरकार को बहुत ही राहत मिलने के आसार लग रहे हैं।
विषयसूची :
कब होता है सूर्य ग्रहण? :
जब पृथ्वी पर चंद्र की छाया पड़ती है, तब सूर्य ग्रहण होता है। इस दौरान सूर्य, चंद्र और पृथ्वी एक लाइन में आ जाते हैं। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य का आधे से ज्यादा हिस्सा चांद से ढक जाता है।
मत्स्यपुराण की कथानुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत निकला था तो राहु नाम के दैत्य ने देवताओं से छिपकर उसका पान कर लिया था। इस घटना को सूर्य और चंद्रमा ने देख लिया था और उसके इस अपराध को उन्होंने भगवान विष्णु को बता दिया था।
इस पर श्रीविष्णु को क्रोध आ गया था और उन्होंने राहु के इस अन्यायपूर्ण कृत से उसे मृत्युदंड देने हेतु सुदर्शन चक्र से राहु पर वार कर दिया था और परिणाम स्वरूप राहु का सिर और धड़ अलग हो गया लेकिन अमृतपान की वजह से उसकी मृत्यु नहीं हुई। तभी से राहु केतू चंद्र और सूर्य को अपना दुश्मन मानने लगे और इन्हीं के कारण सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण लगता है।
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सूर्य ग्रहण का समय :
देश की राजधानी दिल्ली में सूर्य ग्रहण की शुरुआत 10:20 AM के करीब होगी। सूर्य ग्रहण का सूतक काल 20 जून रात 10:20 से शुरू हो जाएगा. आंशिक ग्रहण शुरू होगा – 21 जून, सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर पूर्ण ग्रहण का समय – 21 जून, सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर अधिकतम ग्रहण रहेगा- 21 जून दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक पूर्ण ग्रहण समाप्त होगा- 21 जून दोपहर 2 बजकर 2 मिनट पर आंशिक ग्रहण समाप्त होगा- 21 जून, दोपहर 3 बजकर 4 मिनट पर “
तीन प्रकार के होते हैं सूर्य ग्रहण :
पूर्ण सूर्य ग्रहण – जब पूर्णत: अंधेरा छाये तो इसका तात्पर्य है कि चंद्रमा ने सूर्य को पूर्ण रूप से ढ़क लिया है इस अवस्था को पूर्ण सूर्यग्रहण कहा जायेगा।
खंड या आंशिक सूर्य ग्रहण – जब चंद्रमा सूर्य को पूर्ण रूप से न ढ़क पाये तो तो इस अवस्था को खंड ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी के अधिकांश हिस्सों में अक्सर खंड सूर्यग्रहण ही देखने को मिलता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण – वहीं यदि चांद सूरज को इस प्रकार ढके की सूर्य वलयाकार दिखाई दे यानि बीच में से ढका हुआ और उसके किनारों से रोशनी का छल्ला बनता हुआ दिखाई दे तो इस प्रकार के ग्रहण को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है। सूर्यग्रहण की अवधि भी कुछ ही मिनटों के लिये होती है। सूर्य ग्रहण का योग हमेशा अमावस्या के दिन ही बनता है।
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क्या होता है वलयाकार सूर्य ग्रहण:
ये ग्रहण न ही आंशिक सूर्य ग्रहण होगा और न ही पूर्ण सूर्यग्रहण, क्योंकि चन्द्रमा की छाया सूर्य का करीब 99% भाग ही ढकेगी। आकाशमण्डल में चन्द्रमा की छाया सूर्य के केन्द्र के साथ मिलकर सूर्य के चारों ओर एक वलयाकार आकृति बनायेगी। जिससे सूर्य आसमान में एक आग की अंगूठी की तरह नजर आएगा। साल के सबसे बड़े दिन पर ये ग्रहण लगने जा रहा है। जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है और सूर्य के मध्य भाग को पूरी तरह से ढक लेता है तो इस घटना को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहा जाता है। इसके परिणामस्वरूप सूर्य का घेरा एक चमकती अंगूठी की तरह दिखाई देता है।
भारत में देहरादून, सिरसा और टिहरी कुछ ऐसे प्रसिद्ध शहर हैं जहां वलयाकार सूर्य ग्रहण दिखेगा और देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा। इसके अलावा नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूऐई, एथोपिया तथा कोंगों में दिखाई देगा।
09:15 बजे सूतक काल लगेगा :
सूतक काल 20 जून को सुबह 09:15 बजे सूतक काल लगेगा। यह सूतक काल 22 जून को सुबह 9 बजे तक रहेगा। प्रमुख मंदिर और धार्मिक स्थल सूतक काल के दौरान बंद रहेंगे। इस प्रकार के सूर्यग्रहण में चन्द्रमा की छाया सूर्य के केवल कुछ ही भाग पर पड़ती है। सूर्य का शेष भाग चन्द्रमा की इस छाया से अप्रभावित रहता है। इस प्रकार की स्थिति में पृथ्वी के उस विशेष भाग पर लगने वाला सूर्यग्रहण आंशिक या खंडग्रास सूर्यग्रहण कहलाता है।”
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सूतक काल के समय सावधानियां:
सूतक काल लगते ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर न निकलने के सुझाव दिये जाते हैं। माना जाता है कि राहु और केतु के दुष्प्रभाव से गर्भ में पल रहे शिशु का शारीरिक रूप अक्षम हो सकता है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल और सूतक काल में वस्त्र काटने या सिलने, सब्जी काटने और किसी भी तरह की नुकीली वस्तु का प्रयोग करने की मनाही होती है।
इसके अलावा सूतक काल लगने से लेकर ग्रहण की समाप्ति तक तेल मालिश करना, जल ग्रहण करना, मल-मूत्र विसर्जन, बालों में कन्घा करना, मञ्जन-दातुन करना तथा यौन गतिविधियों में लिप्त होना प्रतिबन्धित माना जाता है। सूर्य ग्रहण से बारह घण्टे पूर्व से लेकर ग्रहण समाप्त होने तक भोजन नहीं करना चाहिये। हालांकि बालकों, रोगियों, गर्भवती महिलाओं तथा वृद्धों के लिये भोजन मात्र एक प्रहर यानी तीन घण्टे के लिये ही वर्जित है।
ग्रहण काल में क्या करें? :
धार्मिक मान्यताओं अनुसार ग्रहण के बाद पहले से बने हुए भोजन को त्यागकर स्वच्छ एवं ताजा बने हुए भोजन का ही सेवन करना चाहिये। गेहूँ, चावल, अन्य अनाज तथा अचार इत्यादि जिन चीजों को त्यागा नहीं जा सकता, उन खाद्य पदार्थों में कुश घास या तुलसी के पत्ते ग्रहण लगने से पहले डालकर रख देने चाहिए। इससे भोजन सुरक्षित रहता है। ग्रहण समाप्ति के तुरंत बाद स्नान कर लेना चाहिए और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देनी चाहिये। ग्रहणोपरान्त दान करना अत्यन्त शुभ माना जाता है।
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ग्रहण देखते समय बरतें सावधानी :
चंद्रमा की तरह सूर्य ग्रहण खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इसका बुरा असर आपकी आंखों पर पड़ सकता है। सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य से काफी हानिकारक सोलर रेडिएशन निकलते हैं जिससे कि आंखों के नाजुक टिशू डैमेज हो जाते हैं और आंखों को जबरदस्त नुकसान पहुंच सकता है। सूर्य ग्रहण को सुरक्षित तकनीक या तो एल्युमिनेटेड मायलर, ब्लैक पॉलिमर, शेड नंबर 14 के वेल्डिंग ग्लास या टेलिस्कोप द्वारा सफेद बोर्ड पर सूर्य की इमेज को प्रोजेक्ट करके करके उचित फिल्टर का उपयोग करके देखा जा सकता है।
दुष्प्रभाव से बचने के लिए :
ज्योतिष अनुसार तुलसी के पत्तों को जल में और दूध, दही व घी में डालकर रखा जाता है, ताकि ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सके। ग्रहण के दौरान पूजापाठ की मनाही होती है और मूर्तियों को स्पर्श भी नहीं किया जाता है। ग्रहण खत्म होने के बाद लोग स्नान भी करते हैं। सूर्य देव की उपासना वाले मंत्रों का उच्चारण भी ग्रहण के दौरान किया जाता है।
स्नान-दान का महत्व :
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सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य देव की उपासना व पवित्र तीर्थ स्थलों पर स्नान-दान का महत्व होता है। सूर्य देव को एक ग्रह के रूप में पिता का कारक भी ज्योतिष में माना जाता है। सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि को ही लगता है। क्योंकि इसी दिन सूर्य चंद्रमा व पृथ्वी एक सीध में होते हैं। विज्ञान मानता है कि जब पृथ्वी चंद्रमा व सूर्य एक सीधी रेखा में होते हैं तो ऐसे में चंद्रमा सूर्य को ढ़क लेता है जिससे सूर्य आंशिक, वलयाकार या पूर्ण रूप से ढ़का नज़र आता है। यह स्थिति हालांकि कुछ समय के लिये बनती है।
मेष राशि पर ग्रहण का प्रभाव :
मेष राशि वालों के लिए सूर्य ग्रहण आर्थिक पक्ष मजबूत करेगा। कार्य व्यापार में उन्नति होगी। आपके साहस एवं शौर्य की सराहना तो होगी ही आपके द्वारा लिए गए निर्णय एवं किए गए कार्य भी सफल रहेंगे। परिवार के बड़े सदस्यों एवं भाइयों से मतभेद न पैदा होने दें।
इन कार्यों को करने से बचें :
सूतक में मंदिर के दरवाजे और पर्दे बंद कर दिए जाते हैं। सूतक में खाना नहीं बनाया जाता है। सूतक में गर्भवती महिलाओं पर ग्रहण का अशुभ प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ता है इसलिए ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ग्रहण के खत्म होने के बाद गंगा स्नान और दान करना चाहिए। सूर्यग्रहण के दौरान पूजापाठ की मनाही होती है और मूर्तियों को स्पर्श भी नहीं किया जाता है। ग्रहण खत्म होने के बाद लोग स्नान भी करते हैं। सूर्य देव की उपासना वाले मंत्रों का उच्चारण भी ग्रहण के दौरान किया जाता है।”