जानिए होलिका दहन कथा , पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और उपाय

होली का पर्व देशभर में बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। रंगो के इस पावन त्योहार का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। Holi Dahan Muhurt Or Upaye

होली का त्योहार रंगो का त्योहार कहलाता है। इस दिन लोग एक- दूसरे को रंग लगाते हैं। होली पर रंग खेलने से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार होली का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है।

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हमारे भारत के हर प्रांत में यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे तो हर त्यौहार का अपना एक रंग होता है जिसे आनंद या उल्लास कहते हैं लेकिन हरे, पीले, लाल, गुलाबी आदि असल रंगों का भी एक त्यौहार पूरी दुनिया में हिंदू धर्म के मानने वाले मनाते हैं।

एक दिन पहले होलिका दहन होता है जिसे छोटी होली भी कहते हैं, तो दूसरे दिन रंगों की होली होती है, सब एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और रंगोत्सव का आनंद लेते हैं। वहीं श्री कृष्ण की नगरी मथुरा-वृंदावन में तो एक सप्ताह पहले से ही होली की शुरुआत हो जाती है।

Holi Dahan Muhurt Or Upaye
Holi Dahan Muhurt Or Upaye

यहां की होली देश भर में सबसे लोकप्रिय होली है और इसमें भाग लेने के लिए पूरे देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं। वहीं बरसाना की लट्ठमार होली का भी अपना ही महत्व होता है। इसे देखने के लिए लोग काफी उत्सुक रहते हैं। तो आइये यहां जानते हैं कि इस साल कब मनाई जाएगी होली ….

कब होगा होलिका दहन ?

9 मार्च, सोमवार को होलिका दहन किया जाएगा।

कब मनाई जाएगी होली :

10 मार्च, मंगलवार को रंगो का त्योहार होली मनाई जाएगी।

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होलिका दहन शुभ मुहूर्त :

संध्या काल में- 06 बजकर 22 मिनट से 8 बजकर 49 मिनट तक
भद्रा पुंछा – सुबह 09 बजकर 50 मिनट से 10 बजकर 51 मिनट तक
भद्रा मुखा : सुबह 10 बजकर 51 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक

होली पूजा का महत्व :

घर में सुख-शांति, समृद्धि, संतान प्राप्ति आदि के लिये महिलाएं इस दिन होली की पूजा करती हैं। होलिका दहन के लिये लगभग एक महीने पहले से तैयारियां शुरु कर दी जाती हैं। कांटेदार झाड़ियों या लकड़ियों को इकट्ठा किया जाता है फिर होली वाले दिन शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है। इस दिन होगा होलिका दहन: इस साल 9 मार्च, 2020 को होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा के बाद होलिका दहन किया जाएगा।

Holi Dahan Muhurt Or Upaye
Holi Dahan Muhurt Or Upaye

होलिका दहन कथा :

शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन की परंपरा भक्त और भगवान के संबंध का अनोखा एहसास है। कथानक के अनुसार भारत में असुरराज हिरण्यकश्यप राज करता था। उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था, लेकिन हिरण्यकश्यप विष्णु द्रोही था।

हिरण्यकश्यप ने पृथ्वी पर घोषणा कर दी थी कि कोई देवताओं की पूजा नहीं करेगा। केवल उसी की पूजा होगी, लेकिन भक्त प्रहलाद ने पिता की आज्ञा पालन नहीं किया और भगवान की भक्ति लीन में रहा।

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हिरण्यकश्यप ने पुत्र प्रहलाद की हत्या कराने की कई बार कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया तो उसने योजना बनाई। इस योजना के तहत उसने बहन होलिका की सहायता ली। होलिका को वरदान मिला था, वह अग्नि से जलेगी नहीं।

योजना के तहत होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन भगवान ने भक्त प्रहलाद की सहायता की। इस आग में होलिका तो जल गई और भक्त प्रहलाद सही सलामत आग से बाहर आ गए। तब से होलिका दहन की परंपरा है। होलिका में सभी द्वेष भाव और पापों को जलाने का संदेश दिया जाता है।

Holi Dahan Muhurt Or Upaye
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होलिका दहन के उपाय :

  • होलिकादहन तथा उसके दर्शन से शनि-राहु-केतु के दोषों से शांति मिलती है।
  • होली की भस्म का टीका लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है।
  • घर में भस्म चांदी की डिब्बी में रखने से कई बाधाएं स्वत: ही दूर हो जाती हैं।
  • कार्य में बाधाएं आने पर आटे का चौमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर कुछ दाने काले तिल के डालकर एक बताशा, सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालें।
  • होली की अग्नि से जलाकर घर पर से ये पीड़ित व्यक्ति पर से उतारकर सुनसान चौराहे पर रखकर बगैर पीछे मुड़े वापस आएं तथा हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश करें।
  • जलती होली में तीन गोमती चक्र हाथ में लेकर अपने (अभीष्ट) कार्य को 21 बार मानसिक रूप से कहकर गोमती चक्र अग्नि में डाल दें तथा प्रणाम कर वापस आएं।

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