हेलो दोस्तों ज्योतिष शास्त्र में मुहूर्त का विशेष महत्व माना जाता है। ज्योतिष में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति की गणना के करके किसी भी कार्य के लिए शुभ-अशुभ होने पर विचार किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार जिस तरह से ग्रहों की शुभ स्थिति में कोई भी कार्य करना लाभप्रद होता है, उसी तरह से जब ग्रहों का योग सही न हो तो कोई मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। Chor Panchak 2021
ज्योतिष के अनुसार जब पांच नक्षत्र धनिष्ठा आरंभ होकर शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र तक चलते हैं तो इस क्रम के समय को पंचक कहा जाता है। इस समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस बार पंचक 12 फरवरी से आरंभ हो रहे हैं। पंचक के समय में विशेष सावाधानी बरतना आवश्यक होता है। तो चलिए जानते हैं कि इस समय कौन-कौन से कार्य नहीं करने चाहिए।
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पंचक क्या है? :
ज्योतिष शास्त्र में धनिष्ठा से रेवती तक। जो 5 नक्षत्र- धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती होते हैं, उन्हे पंचक कहा जाता है। ज्योतिष में आमतौर पर माना जाता है कि पंचक में कुछ विशेष कार्य नहीं किए जाते हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार पंचक का समय अशुभ समय माना जाता है। पंचक के अंतर्गत आने वाले इन्हीं पांच नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को ‘पंचक काल’ कहा जाता है।
कब से शुरू हो रहा है चोर पंचक :
इस बार पंचक शुक्रवार, 12 फरवरी 2021 से प्रारंभ हो रहा है, जो कि मंगलवार, 16 फरवरी 2021 तक जारी रहेगा। अत: इस समयावधि में अधिक सतर्क रहना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्रवार से शुरू हुए पंचक, जिसे ‘चोर पंचक’ कहा जाता है, के दौरान यात्रा नहीं करनी चाहिए। इसके अलावा धन से जुड़ा कोई कार्य भी पूर्णत: निषेध माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान धन हानि होने की प्रबल संभावनाएं रहती हैं। अत: सावधानी बरतते हुए कोई भी लेन-देन का कार्य करना चाहिए।

पंचक आरंभ समय- 12 फरवरी 2021 दिन शुक्रवार को प्रातः 2 बजकर 11 मिनट से।
पंचक समाप्ति समय- 16 फरवरी 2021 दिन मंगलवार रात 8 बजकर 57 मिनट पर।
दिन के हिसाब से पंचक का प्रभाव :
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक़, पंचक का प्रभाक अलग-अलग दिन के हिसाब से अलग -अलग होता है. हालांकि ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि पंचक किस दिन से शुरू हुआ है. बता दें कि जिस पंचक की शुरुआत रविवार से होती है वो रोग पंचक कहलाता है. शनिवार के दिन लगने वाले पंचक को मृत्यु पंचक माना गया है. जिस पंचक की शुरुआत सोमवार से होती है उसे राजपंचक कहा जाता है. पंचक अगर मंगलवार को लगता है तो इसे अग्नि पंचक कहा जाता है. वहीं बुधवार तथा गुरुवार को लगने वाले पंचक को अशुभ पंचक कहा जाता है. पंचक अगर शुक्रवार के दिन लगता है तो इसे चोर पंचक कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि चोर पंचक में चोरी की संभावना बढ़ जाती है.
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पंचक से डर क्यों? :
पंचक काल के 5 नक्षत्रों का जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। जहां धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है, वहीं शतभिषा नक्षत्र में कलह के योग बनते हैं। पूर्वा भाद्रपद को रोग कारक नक्षत्र माना गया है और उत्तरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है। साथ ही रेवती नक्षत्र आने से धन हानि की संभावना भी होती है। इसीलिए जहां पंचक में हर तरह से सावधानी बरतने की आवश्यकता है, वहीं नक्षत्र के अशुभ प्रभावों से डर लगना स्वाभाविक है।
अत: इन समयावधि में घास, लकड़ी, ईंधन आदि एकत्रित न करने की सलाह दी जाती है। इतना ही नहीं इस समय काल में दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करना चाहिए तथा इन दिनों घर की छत बनाने से बचना चाहिए और किसी की मृत्यु होने पर कुश की घास या आटे के 5 पुतले जलाने के बाद ही विधि-विधान से दाह संस्कार करना उचित माना गया है। अत: पंचक के समय में विशेष सावधानी बरतना आवश्यक होता है।

इस बार लग रहा है चोर पंचक :
यदि पंचक शनिवार से आरंभ होते हैं तो उन्हें मृत्यु पंचक कहा जाता है ये बहुत ही अशुभ माने जाते हैं। इस बार पंचक शुक्रवार को शुरू हो रहे हैं इसलिए इसे चोर पंचक कहा जाएगा, लेकिन यह पंचक भी अशुभ होता है। इस समय भी कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, अन्यथा आपको हानि का सामना करना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं कि इस समय क्या कार्य करने की होती है मनाही…
पंचक के दौरान भूलकर भी नहीं करने चाहिए ये कार्य :
- पंचक के दौरान व्यापारिक लेन-देन या फिर धन से संबंधित कोई नया कार्य नहीं करना चाहिए।
- लकड़ी आदि का कार्य भी नहीं करना चाहिए और ना ही घर बनाने के लिये लकड़ी इकट्ठी करनी चाहिए। ऐसा करने से धन की हानि हो सकती है।
- पंचकों के दिनों में किसी भी तरह की दूरी वाली नई यात्रा की करने की मनाही होती है।
- यदि पूरे पंचक लगे हो तो उस दौरान घर की छत नहीं बनवानी चाहिए।
- पंचक में यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तो बिना निवारण के अंतिम संस्कार नहीं करना चाहिए, अन्यथा पंचक दोष के कारण आपको बड़ी हानि का सामना करना पड़ सकता है।
- पंचक के दौरान बिजनेस को लेकर किसी भी तरह का लेनदेन नहीं करना चाहिए।
- पंचकों के दिनों में किसी भी तरह की यात्रा की शुरुआत न करे।
- अगर किसी की शादी हुई है तो नई दुल्हन को घर नहीं लाना चाहिए और न ही विदा करना चाहिए।
- पूरे पंचक के दौरान घर की छत नहीं बनवानी चाहिए।
चारपाई या बेड नहीं लेना चाहिए और ना ही बनवाना चाहिए :
अगर किसी की मृत्यु हो गई है तो उसके अंतिम संस्कार ठीक ढंग से न किया गया तो पंचक दोष लग सकते है। इसके बारें में विस्तार से गरुड़ पुराण में बताया गया है जिसके अनुसार अगर अंतिम संस्कार करना है तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लेनी चाहिए और साथ में जब अंतिम संस्कार कर रहे हो तो शव के साथ आटे या कुश के बनाए हुए पांच पुतले बना कर अर्थी के साथ रखें। और इसके बाद शव की तरह ही इन पुतलों का भी अंतिम संस्कार विधि-विधान से करें।