हेल्लो दोस्तों मैं हूँ निधि और स्वागत करती हूँ आप सभी का आपकी अपनी वेबसाइट aakrati.in पर ! आज एस्ट्रोलॉजी सेक्शन में मैं बताने वाली हूँ ऐसी अमावस्या के बारे में जो पूरे 100 साल बाद पड़ रही है ! वैसे तो हमारे ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय का देवता माना गया है लेकिन ये सबसे क्रूर गृह माना जाता है और कहा जाता है की जब ये खुश होते हो तो हमारे जीवन में खुशिया लेकर आते हो और जब ये हमसे रूठ जाते है तो ये हमारे दुखों का कारन भी बनते है| न्याय के अधिपति देवता शनि महाराज का जन्मोत्सव शनि जयंती ज्येष्ठ अमावस्या पर 15 मई मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग है। साथ ही वटसावित्री अमावस्या और भौमवती अमावस्या का संयोग भी बन रहा है है। Amavashya after 100 years
कहा जा रहा है की इतने सारे योग में मनने वाला शनि जन्मोत्सव इस बार उन लोगों के लिए बहुत खास होगा जो शनि की साढ़ेसाती, शनि के ढैया या जन्मकुंडली में शनि की महादशा, अंतर्दशा या शनि की खराब स्थिति के कारण पीड़ित चल रहे हैं। वे लोग इस खास योग में आ रही शनि जयंती पर शनि को प्रसन्न करने के उपाय अवश्य करें, उनकी समस्त पीड़ा शांत होगी। इस दिन शनि देव की टेढ़ी नजर से बचने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा का विधि विधान है। माना जाता है कि शनि की कृपा मिलने पर गरीब भी मालामाल हो जाता है जबकि उनके कुपित होने का अर्थ है हर तरफ से दुख पाना।
ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनि का जन्म होने के कारण इस दिन शनि जंयती मनाई जाती है। कहा जा रहा है की ये महासंयोग पूरे 100 साल बाद बन रहा है और कहा जाता है की इस दिन शनि की पूजा अर्चना से जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते है। शनि जयंती के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से रोग दूर होते है। इस बार शनि अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि शनि जयंती पर कई दुर्लभ संयोग एक साथ बन रहे हैं। आपको बता दे की इस बार मंगलवार के दिन शनि जयंती पड़ रही है। जिससे की मंगल गृह भी करक होगा|
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये अमावस्या मंगलवार के दिन भरणी नक्षत्र, शोभन योग, चतुष्पद करण तथा मेष राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है। इस साल ज्येष्ठ मास अधिकमास भी है। इसलिए प्रथम शुद्ध ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष में आ रही अमावस्या का खास महत्व भी माना गया है। इस दिन सुबह 10.57 बजे से सर्वार्थसिद्धि योग की शुरुआत होगी| और कहा जाता है की जो भी इंसान इस दिन पूरे विधि विधान से शनि देव की पूजा अर्चना करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते है|
आपको बता दे की शनि जयंती के दिन मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है। इस दिन शनि महाराज की पूजा करने से विघ्न दूर होते है। हमारे शास्त्रों में इसको लेकर कई कथाएं प्रचलित है। इन्हीं कथाओं के अनुसार पिता सूर्य और छाया की संतान शनि का जन्म कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हुआ था। शनि महाराज प्रारंभ से ही मिले राज्य और लोक से संतुष्ट नहीं थे। शनि का जन्म हुआ तो सर्वप्रथम शनि की दृष्टि अपने पिता सूर्य पर पड़ी तो कुष्ठ रोग हो गया। शनि का अपने पिता से हमेशा मतभेद रहा। शनि के ही प्रकोप के कारण ही भगवान राम को वनवास भी हुआ था।
आज हम आपको एक ऐसा उपाय बताने जा रहे है जिसको करने से आपके सरे कास्ट दूर हो जायेंगे| सबसे पहले आपको सूर्योदय से पहले उठकर स्नान के बाद शनि महाराज की पूजा करनी चाहिए। सरसों के तेल में तिल डालकर पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक को जला कर रखना है और शनि भगवान का मंत्र जाप करना है और इसके साथ हनुमान जी की पूजा करनी है|